नई दिल्ली, 14 जून 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी पांच दिवसीय विदेश यात्रा पर रवाना होंगे, जिसमें वे तीन देशों — साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया का दौरा करेंगे। इस दौरान वह कनाडा के टोरंटो में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे। इस यात्रा को कूटनीतिक दृष्टिकोण से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
साइप्रस: द्विपक्षीय संबंधों की नई शुरुआत
पीएम मोदी की यात्रा की शुरुआत 15 जून को साइप्रस से होगी, जहां वह राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलिड्स से मुलाकात करेंगे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का दो दशकों में पहला साइप्रस दौरा है। वे व्यापार और निवेश पर केंद्रित एक सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे। माना जा रहा है कि यह यात्रा तुर्की और पाकिस्तान के गहरे होते रिश्तों पर एक रणनीतिक सन्देश भी है।
कनाडा: G7 मंच से वैश्विक दक्षिण की आवाज़
इसके बाद पीएम मोदी 16 और 17 जून को कनाडा के टोरंटो में होंगे, जहां वे 51वें G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के आमंत्रण पर मोदी को इस वैश्विक मंच में आमंत्रित किया गया है।
यह भारत का लगातार छठा G7 सम्मेलन होगा जिसमें पीएम मोदी शामिल हो रहे हैं। इस बार मोदी जी “Global South” यानी विकासशील देशों की चिंता, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और पाकिस्तान प्रायोजित उग्रवाद जैसे अहम मुद्दों को दुनिया के सामने उठाएंगे।
क्रोएशिया: यूरोप में नई रणनीतिक भागीदारी
यात्रा के अंतिम चरण में पीएम मोदी 18 जून को क्रोएशिया का दौरा करेंगे, जहां वे प्रधानमंत्री आंद्रे प्लेंकोविच से मुलाकात करेंगे। यह भारत-क्रोएशिया द्विपक्षीय रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ने वाला कदम माना जा रहा है। ऊर्जा, आईटी और पर्यटन क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर बातचीत होगी।
भारत की वैश्विक स्थिति को और मज़बूती
इस यात्रा से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि भारत आज वैश्विक कूटनीति में एक निर्णायक और भरोसेमंद भागीदार के रूप में उभरा है। साइप्रस और क्रोएशिया जैसे यूरोपीय देशों के साथ मजबूत होते संबंध भारत की बहुपक्षीय विदेश नीति की सफलता का प्रमाण हैं। वहीं G7 जैसे मंच पर भारत की मौजूदगी से देश की आर्थिक और कूटनीतिक ताकत की पुष्टि होती है।