झारखंड में इन दिनों बारिश की बौछारों के साथ एक नया ट्रेंड भी चल पड़ा है — “नेता जी खुद खेत में धान रोपते नज़र आ रहे हैं।” कैमरा, मीडिया और गमछा के साथ!
कभी मंत्री जी, कभी विधायक जी — सभी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में खेतों में उतरकर किसानों के संग पसीना बहा रहे हैं… या कहें फोटो खिंचवा रहे हैं?
सवाल ये है:क्या यह किसानों के संघर्ष को समझने की सच्ची कोशिश है? या फिर अगले चुनाव की तैयारी में दिखावे की खेती?
जहां असली किसान रोज़ इसी कीचड़ में अपनी रोटी तलाशता है, वहीं कुछ ‘माननीय’ एक दिन की धान रोपाई को सेवा का प्रमाणपत्र समझ बैठे हैं।
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