इक्रिसैट की नई तकनीक: अब मिट्टी की जांच सिर्फ 15 मिनट में, किसानों के लिए वरदान

इक्रिसैट (अंतर्राष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसलों के अनुसंधान संस्थान) ने मृदा परीक्षण के लिए एक नया, तेज़ और पोर्टेबल उपकरण विकसित किया है, जिससे अब मिट्टी की गुणवत्ता की जांच कुछ ही मिनटों में खेत पर ही की जा सकती है। यह तकनीक पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक सस्ती, सरल और त्वरित है। डिवाइस मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों और पीएच स्तर की जानकारी देता है और एक मोबाइल ऐप के माध्यम से किसानों को उपयुक्त सलाह भी प्रदान करता है। यह नवाचार वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा देगा, उपज में सुधार करेगा और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।

किसान खेत में पोर्टेबल मृदा परीक्षण करते हुए

अंतर्राष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसलों के अनुसंधान संस्थान (इक्रिसैट) ने मृदा परीक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी खोज की है। इक्रिसैट के वैज्ञानिकों ने एक नया पोर्टेबल और तेज़ मृदा परीक्षण उपकरण विकसित किया है, जिससे अब मिट्टी की गुणवत्ता की जांच हफ्तों नहीं, बल्कि कुछ ही मिनटों में की जा सकेगी।

यह नई तकनीक पारंपरिक मृदा परीक्षण विधियों की तुलना में कहीं अधिक तेज़, सस्ती और सरल है। पहले जहां किसानों को मिट्टी का नमूना प्रयोगशाला में भेजकर रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ता था, वहीं अब यह काम खेत पर ही कुछ मिनटों में संभव हो सकेगा।

इक्रिसैट द्वारा विकसित यह पोर्टेबल डिवाइस सेंसर आधारित है, जो मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम (NPK), कार्बन और पीएच स्तर की तुरंत जानकारी देता है। इसके साथ एक मोबाइल ऐप को भी जोड़ा गया है, जो परीक्षण परिणामों का विश्लेषण कर किसान को उपयुक्त सलाह देता है कि कौन-सी फसल उगाना उचित रहेगा और किस प्रकार की खाद की आवश्यकता है।

इक्रिसैट के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश शर्मा ने बताया, “इस तकनीक से किसानों को न केवल समय की बचत होगी, बल्कि उन्हें मृदा स्वास्थ्य के आधार पर वैज्ञानिक खेती करने में भी मदद मिलेगी। इससे उपज बढ़ेगी, उर्वरकों का सही इस्तेमाल होगा और पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।”

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने भी इस तकनीक की सराहना की है और इसे जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की योजना बनाई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नवाचार ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना’ को नई गति देगा और टिकाऊ कृषि की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

मिट्टी की जांच कैसे करें अब हुआ आसान

इक्रिसैट (ICRISAT) ने मृदा परीक्षण की दुनिया में बड़ा कदम उठाते हुए एक पोर्टेबल मृदा जांच उपकरण विकसित किया है। यह डिवाइस केवल 15-20 मिनट में मिट्टी की सेहत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। किसानों को अब प्रयोगशाला के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे – यह तकनीक खेत पर ही मिट्टी की जांच संभव बनाती है।

कैसे काम करता है इक्रिसैट का मृदा परीक्षण उपकरण?

यह उपकरण एक सेंसर-आधारित पोर्टेबल डिवाइस है, जो मिट्टी में मौजूद मुख्य पोषक तत्वों जैसे:

  • नाइट्रोजन (N)
  • फॉस्फोरस (P)
  • पोटाश (K)
  • कार्बन कंटेंट
  • पीएच (pH) स्तर

की तुरंत जानकारी देता है। इसके साथ एक मोबाइल ऐप जुड़ा होता है, जो परीक्षण के आधार पर फसल चयन, खाद मात्रा और उर्वरक सिफारिश देता है।

मोबाइल ऐप से मिलेगी स्मार्ट सलाह

डिवाइस का डेटा एक ऐप के माध्यम से किसान के मोबाइल पर पहुंचता है, जहाँ:

  • मिट्टी की रिपोर्ट ऑटोमैटिक जनरेट होती है
  • उर्वरक सुझाव दिए जाते हैं
  • मौसम और फसल चक्र की जानकारी भी उपलब्ध होती है

यह डिजिटल खेती (Smart Farming) की ओर एक बड़ा कदम है।

लाभविवरण
⏱️ समय की बचत15 मिनट में मिट्टी परीक्षण
💰 लागत में कमीपारंपरिक विधियों की तुलना में 50% सस्ता
🌾 वैज्ञानिक खेतीसटीक डेटा आधारित निर्णय
♻️ पर्यावरण के अनुकूलउर्वरकों का संतुलित उपयोग
📍 मोबाइल एक्सेसतुरंत रिपोर्ट और सलाह

किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित होगी ये तकनीक

भारत के करोड़ों किसानों को मिट्टी की सेहत की सही जानकारी नहीं मिल पाती, जिससे वे या तो जरूरत से ज़्यादा उर्वरक डालते हैं या ज़रूरत से कम। इससे उपज पर असर पड़ता है। इक्रिसैट की यह तकनीक उन्हें “मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना” को और प्रभावी बनाने में मदद करेगी।

मुख्य विशेषताएं:

  • मिट्टी की जांच अब केवल 15-20 मिनट में
  • पोर्टेबल डिवाइस: कहीं भी, कभी भी उपयोग संभव
  • मोबाइल ऐप के जरिए रिपोर्ट और सलाह
  • पारंपरिक विधियों की तुलना में लागत में 50% तक की कमी
  • किसानों को वास्तविक समय में निर्णय लेने की सुविधा

इक्रिसैट की यह पहल तकनीकी नवाचार को जमीनी स्तर तक ले जाने का एक बेहतरीन उदाहरण है। आने वाले समय में यह तकनीक भारत समेत विकासशील देशों में किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

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