ड्रिप इरिगेशन कैसे काम करता है – विस्तृत गाइड

ड्रिप इरिगेशन, जिसे टपक सिंचाई कहा जाता है, एक आधुनिक सिंचाई तकनीक है जिसमें पानी और उर्वरक को पाइप और नोजल (एमिटर) के ज़रिए पौधों की जड़ों तक धीरे-धीरे बूँद-बूँद टपकाया जाता है। यह प्रणाली पानी की 50–70% तक बचत करती है और फसल उत्पादन में सुधार लाती है। ड्रिप सिस्टम मुख्य रूप से सब्ज़ियों, फलों और बागवानी फसलों के लिए उपयोगी है। इसमें मुख्यत: पानी का स्रोत, फ़िल्टर, प्रेशर रेगुलेटर, पाइपलाइन और ड्रिप टेप शामिल होते हैं। किसान इसे आसानी से अपने खेत में स्थापित कर सकते हैं, और भारत सरकार इसके लिए 50%–90% तक सब्सिडी भी देती है।

ड्रिप इरिगेशन

ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation), जिसे टपक सिंचाई भी कहा जाता है, एक अत्यधिक कुशल सिंचाई प्रणाली है, जिसमें पानी और पोषक तत्वों को पौधों की जड़ों तक धीरे-धीरे पहुँचाया जाता है — एक बूँद या टपक के रूप में। यह प्रणाली पानी की बचत करती है और फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होती है।

नीचे ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का एक विस्तृत गाइड दिया गया है:

ड्रिप इरिगेशन कैसे काम करता है?

1. पानी का स्रोत (Water Source)

  • यह स्रोत कोई बोरवेल, ट्यूबवेल, तालाब या जलाशय हो सकता है।
  • इस स्रोत से पानी पंप के माध्यम से पाइपलाइन तक पहुँचाया जाता है।

2. फ़िल्ट्रेशन यूनिट (Filtration Unit)

  • पानी को मिट्टी, कण और गंदगी से साफ़ करने के लिए फिल्टर लगाया जाता है।
  • आमतौर पर सैंड फिल्टर, स्क्रीन फिल्टर और डिस्क फिल्टर का प्रयोग होता है।

3. प्रेशर रेगुलेटर (Pressure Regulator)

  • यह पानी के दबाव को नियंत्रित करता है, ताकि ड्रिप टेप या एमिटर से सही मात्रा में पानी निकल सके।
  • ज़्यादा दबाव से ड्रिप लाइन फट सकती है।

4. मेन पाइप और सबमेन पाइप

  • ये मोटे पाइप होते हैं, जो पानी को खेत के विभिन्न हिस्सों तक ले जाते हैं।

5. ड्रिप लाइन या ड्रिप टेप

  • पतली प्लास्टिक पाइप जिनमें निश्चित दूरी पर छोटे-छोटे छेद (Emitters) होते हैं।
  • ये सीधे पौधे की जड़ों तक पानी पहुँचाते हैं।

6. एमिटर्स (Emitters)

  • यह विशेष नोजल होता है जो पानी को नियंत्रित मात्रा में टपकाता है।
  • यह 1-10 लीटर प्रति घंटा (LPH) की दर से पानी छोड़ता है।
विशेषताविवरण
💧 पानी की बचतपारंपरिक सिंचाई की तुलना में 30%–70% तक पानी की बचत
🌿 पौधों की सेहतपानी सीधे जड़ों तक जाता है, जिससे फसल की वृद्धि बेहतर होती है
⏱️ समय की बचतऑटोमेशन से सिंचाई करने पर समय और मेहनत दोनों की बचत होती है
🧪 खाद देने की सुविधा (Fertigation)पानी के साथ उर्वरक भी डाला जा सकता है
🚜 कम ज़मीन क्षरणमिट्टी का कटाव या जलभराव नहीं होता

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम की स्थापना

आवश्यक सामग्री:

  1. पंप या मोटर
  2. वाटर टैंक (यदि ग्रेविटी से चलाना हो)
  3. फ़िल्टर यूनिट (सैंड + स्क्रीन या डिस्क)
  4. प्रेशर रेगुलेटर
  5. मेन लाइन (HDPE पाइप)
  6. सबमेन लाइन
  7. ड्रिप टेप / ड्रिप लाइन
  8. फिटिंग्स (टी-जॉइंट, एल्बो, एंड कैप, वाल्व)
  9. उर्वरक टैंक (वैकल्पिक)

स्थापना के चरण:

  1. भूमि का सर्वे और योजना बनाना (Layout)
  2. पंप से मुख्य पाइपलाइन जोड़ना
  3. फिल्टर और रेगुलेटर लगाना
  4. सबमेन पाइप और ड्रिप टेप बिछाना
  5. एमिटर दूरी पौधे के अनुसार तय करना (जैसे सब्जियों में 20-30 सेमी)
  6. वाल्व और एंड कैप लगाकर सिस्टम बंद करना
  7. परीक्षण और मरम्मत

ध्यान देने योग्य बातें

  • फिल्टर की नियमित सफाई करें।
  • पाइपलाइन से लीकेज चेक करते रहें।
  • पानी में अधिक खनिज होने पर ड्रिप टेप चोक हो सकता है — इसलिए क्लोरीन या एसिड ट्रीटमेंट करें।
  • खेत में ड्रिप लगाने से पहले फसल की spacing और जड़ की गहराई जान लें।

किन फसलों के लिए उपयुक्त?

  • सब्जियाँ (टमाटर, मिर्च, खीरा)
  • फलदार पौधे (अमरूद, आम, अंगूर, नींबू)
  • गन्ना, कपास, हल्दी, धनिया आदि

सब्सिडी और योजना

  • भारत में कृषि विभाग ड्रिप सिस्टम पर 50%–90% तक सब्सिडी देता है (राज्य के अनुसार अलग-अलग)।
  • PMKSY (प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना) के तहत सहायता मिल सकती है।
  • किसान को कृषि विभाग में आवेदन करना होता है।
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