अहमदाबाद प्लेन क्रैश: इस तरह होती है भारत में विमान हादसों की जांच

अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास हाल ही में हुए विमान हादसे ने एक बार फिर विमानन सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसे में विमान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। बड़ा जनहानि हुई, लेकिन इस तरह की घटनाएं यह जानने की मांग करती हैं कि भारत में विमान हादसों की जांच कैसे की जाती है।

हादसे के बाद जांच की प्रक्रिया कैसे शुरू होती है?

भारत में विमान हादसों की जांच की जिम्मेदारी एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) के पास होती है, जो कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है। जैसे ही किसी विमान हादसे की सूचना मिलती है, AAIB की एक विशेष टीम मौके पर पहुंचती है और जांच शुरू करती है।

प्राथमिक जांच और साक्ष्य संग्रह

जांच के पहले चरण में निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं:

  • मलबे का निरीक्षण: दुर्घटनाग्रस्त विमान के मलबे की स्थिति, ब्लैक बॉक्स (FDR और CVR), और अन्य तकनीकी साक्ष्य एकत्र किए जाते हैं।
  • चश्मदीदों और पायलटों के बयान: यदि पायलट जीवित होते हैं तो उनके बयान लिए जाते हैं। साथ ही, आसपास के लोगों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) की रिकॉर्डिंग भी जांची जाती है।
  • विमान के रख-रखाव का रिकॉर्ड: यह देखा जाता है कि क्या विमान की तकनीकी जांच समय पर हुई थी या नहीं।

विस्तृत तकनीकी जांच

एक बार प्रारंभिक साक्ष्य इकट्ठा हो जाने के बाद, विशेषज्ञों की टीम विमान की तकनीकी विफलताओं, मानव त्रुटियों, मौसम की स्थिति और अन्य कारकों का विश्लेषण करती है। कई बार ब्लैक बॉक्स की डिकोडिंग में हफ्तों लग सकते हैं।

जांच रिपोर्ट और अनुशंसाएं

AAIB अपनी जांच पूरी करने के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है, जिसमें:

  • दुर्घटना के कारणों की जानकारी,
  • भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए सुझाव,
  • संबंधित अधिकारियों के लिए दिशा-निर्देश शामिल होते हैं।

यह रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से AAIB की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाती है।

क्यों है जांच जरूरी?

हर विमान दुर्घटना में सिर्फ जान-माल की क्षति नहीं होती, बल्कि यह पूरी एविएशन प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करती है। गहन और निष्पक्ष जांच से न केवल कारणों का पता चलता है, बल्कि यह भविष्य की सुरक्षा के लिए जरूरी सुधारों का रास्ता भी दिखाती है।

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